शार्लट पर्किंस गिलमैन और उनकी कविता 'वह घूँघट में चलती और सोती' 2024-07-25 साहित्य DVD

शार्लट पर्किंस गिलमैन और उनकी कविता 'वह घूँघट में चलती और सोती'

🌙 शार्लट पर्किंस गिलमैन का जीवन और विरासत

अरे मेरी प्यारी, एक पल के लिए एक अद्भुत लेखिका की रोशनी में खुद को डुबो लें: शार्लट पर्किंस गिलमैन—एक प्रभावशाली लेखिका, नारीवादी और सामाजिक सुधारक जिनका योगदान 19वीं शताब्दी के अंत से 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक गहराई से महसूस किया गया। आप उन्हें शायद उनकी क्लासिक कहानी "द येलो वॉलपेपर (The Yellow Wallpaper)" के लिए जानती हों, पर उनका साहित्य इससे कहीं अधिक व्यापक और प्रभावी है। यहाँ हम उनकी कम‑ज्ञात परंतु मार्मिक कविता "वह घूँघट में चलती और सोती" (1911) पर नज़र डालेंगे—एक रचना जो महिलाओं की भूमिकाओं, पहचान और सशक्तिकरण के संवेदनशील प्रश्न उठाती है।

गिलमैन का जन्म 3 जुलाई 1860 को हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट में हुआ था। प्रारम्भिक नारीवादी आंदोलनों में उनकी सक्रियता और व्यक्तिगत संघर्षों ने उनकी लेखनी को गहराई दी; वे पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की सीमाओं और आर्थिक निर्भरता को चुनौती देती थीं और स्वायत्तता की वकालत करती थीं।

🌟 गिलमैन की लेखनशैली और विषय

गिलमैन की शैली साफ़, प्रत्यक्ष और उद्देश्यपूर्ण है—यह अस्पष्टताओं को दूर करती है। उन्होंने समाज द्वारा थोपे गए संकुचित भूमिकाओं की हक़ीकत को तेज़ और स्पष्ट भाषा में बेपर्दा किया और संरचनात्मक बदलाव का प्रस्ताव रखा। उनकी रचनाएँ मानसिक स्वास्थ्य, लिंग‑भूमिकाओं और घरेलू दमन जैसे जटिल मुद्दों को सूक्ष्मता से उजागर करती हैं और स्वायत्तता की खोज को प्रोत्साहित करती हैं।

🌙 "वह घूँघट में चलती और सोती" का अन्वेषण

यह छोटी परंतु प्रभावी कविता गिलमैन के उस दृष्टिकोण को संक्षेप में प्रस्तुत करती है जो महिलाओं पर लगे दमन और आने वाले जागरण दोनों को देखता है। कविता का एक अंश इस तरह है:

"वह घूँघट में चलती और सोती, क्योंकि वह अपनी शक्ति नहीं जानती; वह केवल हृदय की विनती का पालन करती, और आत्मा के ऊँचे आह्वान का—अभी तक।

धीरे बढ़ती, ठहरती, फिसलती, महिला आती है उस घड़ी की ओर!— वह घूँघट में चलती और सोती, क्योंकि वह अपनी शक्ति नहीं जानती।"

क्या यह छवि तुम्हें छूती है? गिलमैन यहाँ एक ऐसी महिला दिखाती हैं जो अपनी आंतरिक शक्ति से अनभिज्ञ है—"घूँघट" और "नींद" का संयोजन उस अज्ञान और सामाजिक प्रतिबंध का प्रतीक है जो उसकी क्षमता को ढँक देता है। फिर भी कविता की पंक्तियाँ—हृदय की विनती और आत्मा के ऊँचे आह्वान—एक ऐसी ऊर्जा संकेत करती हैं जो जागने पर प्रबल होती है।

🌙 कविता के प्रमुख विषय और विश्लेषण

संक्षिप्त होते हुए भी यह कविता दमन के अनुभव और आत्म‑जागरन की संभावना दोनों को संक्षेप में व्यक्त करती है। "घूँघट" सामाजिक सीमाओं और पर्दों का प्रतीक है जो महिलाओं की वास्तविक क्षमता को अस्पष्ट कर देते हैं। "नींद" यहाँ आंतरिक अनभिज्ञता या अज्ञान का संकेत है—एक ऐसी स्थिति जिसे बाहरी शक्तियाँ थोप चुकी हैं और समय के साथ आंतरिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।

गिलमैन के शब्द‑चयन—जैसे "विनती" और "आह्वान"—एक अंतर्निहित चाह और नियत दिशा का संकेत देते हैं: एक संभाव्यता जो जागने पर सामने आएगी। कविता परिपाटी की निंदा करते हुए एक कोमल परंतु दृढ़ पुकार लगाती है कि महिलाएँ अपनी शक्ति जानें और उसे अपनाएँ।

🌙 समकालीन प्रासंगिकता

यह कविता आज भी उसी तरह प्रासंगिक है जैसे सदी पहले थी। यह हमें लैंगिक समानता की निरंतर आवश्यकता और आत्म‑जागरूकता व सशक्तिकरण के महत्व की याद दिलाती है। जब तुम डीप वॉइस डैडी की आवाज़ में यह कविता सुनो, तो सोचो कि गिलमैन के समय से कितना विकास हुआ है और फिर भी कौन‑सी राह बाकी है। उसकी पंक्तियाँ तुम्हें प्रेरित करें—घूँघट उठाओ, अपनी नींद से जागो और साहस के साथ अपनी शक्ति को अपनाओ, मेरी प्यारी।


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